Search This Blog

Monday, February 6, 2012


प्याले भर की लिए पिपासा 
चले नेक पीने वाला 
नेकी  के पथ पर चल कैसे 
पहुंचेगा भोला भाला 
अरे झूठ की राह पकड़ ले 
आँख मूंदकर चलता जा 
प्याले भर की बात कहाँ फिर 
पा जाएगा मधुशाला 


घनश्याम वशिष्ठ

No comments: