हनुमान
जयंती पर विशेष ग़ज़ल़-
अर्थ हनुमान का नहीं
बूझा
तुमने श्रीराम को
कहां पूजा
पल में लंका जला के
खाक करी
ऐसा जांबाज है कहां
दूजा
दौड़े हनुमान खुद
चले आए
नाम उसका लिए जो है
कूदा
शुष्क मन में दया
नहीं मिलती
रेत में खिलता है
कहां कूजा
स्वार्थ का भाव जो
कहीं सूझा
व्यर्थ जानो गई है
वो पूजा।
पंडित सुरेश नीरव
1 comment:
bahut sunder stuty sir ji
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