सुदर्शन 'फाकिर' की ग़ज़ल
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आदमी आदमी को क्या देगा,
जो भी देगा वही ख़ुदा देगा |
मेरा क़ातिल ही मेरा मुंसिब है,
क्या मेरे हक़ में फ़ैसला देगा |
ज़िन्दगी को क़रीब से देखो,
इसका चेहरा तुम्हें रुला देगा |
हमसे पूछो दोस्ती का सिला,
दुश्मनों का भी दिल हिला देगा |
इश्क़ का ज़हर पी लिया "फ़ाकिर",
अब मसीहा भी क्या दवा देगा |
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