फेसबुकियों की एक नस्ल ऐसी भी...
ग्वालियर किले में स्थित राजा मानसिंह तोमर द्वारा बनवाया गया मान मंदिर |
फेसबुकियों की ऐसी नस्ल तो नेट की दुनिया में बहुतायत में पायी जाती है जो
ट्रकों की पीठ पर लिखे बुरी नज़रवाले तेरा मुंह काला-जैसी भावनात्मक एकता से
लवरेज़ होकर दिन-रात चिटियाती रहती है और मौत तथा दुर्घटनाओं के दुखद समाचारों की
प्रतिक्रिया में भी वेरी नाइस और मुझे पसंद है-जैसी बौद्धक प्रतिक्रियाएं
देकर घंटों चेटिंग करती हुई अपने को
ग्लोबल-गोबर गणेश सिद्ध करने में जुटी रहती है मगर ग्वालियर में फेसबुक मित्रों की
एक ऐसी जमात देखने को मिली जो ईमानदारी से सामाजिक सरोकारों के लिए संगठित है। और
इन फेसबुकियों ने बाकायदा ग्वालियर प्लस नाम से अपना संगठन बनाया हुआ है। सावन की
तीज़ को मनाने ग्वालियर प्लस के ये सदस्य सपरिवार जनकताल में इकट्ठे हुए। गीत-गजल
की मधुर फुहार,खनकते संगीत की झंकार और दाल-बाटी के स्वादिष्ट भोजन के साथ यह गोठ
सोल्लास संपन्न हुई। मुझे भी इस गोठ में शरीक होने का मौका मिला। मुझे लगा कि
ग्वालियर इसीलिए ग्वालियर है क्योंकि यहां के लोग कुछ अलग अंदाज़ में जीने के कायल
होते हैं। हों भी क्यों नहीं। मेरे मायके
के लोग जो ठहरे।
-पंडित सुरेश नीरव
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