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Thursday, July 26, 2012

अब दो जीवन उनकी आँख से संसार को देखेंगे

श्री रजनीकांत राजू,
स्वर्गीय लक्ष्मी सहगल के संदर्भ में आपकी पोस्ट पढ़कर नयन भर आए। सचमुच वह महान उद्देश्यों के लिए जीती रहीं और मरते दम तक उन आदर्शों का पालन नेत्रदान करके अंतिम सांस के बाद भी कर गईं। नेत्रदान महादान होता है। उन्होंने मरणोपरांत भी दुनिया को रास्ता दिखाना नहीं छोड़ा। अब दो जीवन उनकी आँख से संसार को देखेंगे। उस महान आत्मा को कोटिशः नमन..
-पंडित सुरेश नीरव

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