भिखारी --
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भिखारी ने कहा -
बाबूजी एक रुपया दीजिये ...
इस भीषण महगाई मे .
कुछ तो मदद कीजिये ...
बाबूजी ,हर्षाये ,फिर घबराये
अन्ततोगत्वा
भिखारी पर चिल्लाये
उपर मत चढिये...
कृपया आगे बढिए
यह सुन भिखारी क़ा मन डोला ----
चहकते हुए बोला ------
बाबूजी ,
आपक़ा मन रूपी घडा तो
सचमुच रीता है ,
मुझे लगता है ,
आपका जीवन तो
मुझसे भी ज्यादा गयाबीता है ---
हम दोनों की भावनाएं
सन्नाटे मे मौन है ------
क्योकि मौंजू दौर मे
यह पता लगा पाना
बड़ा मुश्किल है कि,
इन दिनों
आखिर
भिखारी कौन है -----
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प्रकाश प्रलय कटनी
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