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Saturday, August 4, 2012

भिखारी --
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भिखारी ने कहा -
बाबूजी एक रुपया दीजिये ...
इस भीषण महगाई मे .
कुछ तो मदद कीजिये ...
बाबूजी ,हर्षाये ,फिर घबराये 
अन्ततोगत्वा 
भिखारी पर चिल्लाये 
उपर मत चढिये...
कृपया आगे बढिए 
यह सुन भिखारी क़ा मन डोला ----
चहकते हुए बोला ------
बाबूजी ,
आपक़ा मन रूपी घडा तो 
सचमुच रीता है ,
मुझे लगता है ,
आपका जीवन तो 
मुझसे भी ज्यादा गयाबीता है ---
हम दोनों की भावनाएं 
सन्नाटे मे मौन है ------
क्योकि मौंजू दौर मे 
यह पता लगा पाना 
बड़ा मुश्किल है कि,
इन दिनों 
आखिर 
भिखारी कौन है -----
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प्रकाश प्रलय  कटनी  

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