चिंतन के क्षणों में पंडित सुरेश नीरव |
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(बिना अनुमति के इस ग़ज़ल का कहीं भी और कैसा भी उपयोग कानूनी अपराध माना जाएगा।)
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जो ख़ौफ सोच में था उसे दफ़्न कर दिया
यादों के मकबरों में नया जश्न कर दिया
तकिए में भर के नींद को सोए हुए थे हम
ख़्वाबों में चांदनी ने अजब प्रश्न कर दिया
अर्जुन को जब से ज्ञान दिया तुमने मोक्ष का
श्रद्धा से सबने नाम तेरा कृष्ण कर दिया
अपने बदन की छांव में सुस्ता रहे हैं लोग
सूरज ने तेज़ धूप में क्या जश्न कर दिया
कब तक जिओगे बेच के अपने ज़मीर को
मुझसे मेरी हयात ने ये प्रश्न कर दिया
मरने से ज़िंदगी ने बचा तो लिया मगर
जब दर्द शायरी में मेरी दफ़्न कर दिया
तनहा उदास शाम की चुप्पी को तोड़कर
इक शोर ने गरीब के घर जश्न कर दिया।
-पंडित सुरेश नीरव
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