प्रकाश प्रलय |
और
भगवानसिंह हंसजी..
लगातार विदेश प्रवास पर रहने के कारण मैं ब्लॉग पर लुख नहीं सका। मगर लौटकर आने के बाद देखा कि आप दोनों बंधुओं ने पूरी निष्ठा के साथ मशाल को जलाए रखा। और तरह-तरह से अपना रचनात्मक अवदान दिया। मैं आप दोनों का हार्दिक आभार प्रकट करता हूं। और भविष्य में भी ऐसे ही सहयोग की कामना करता हूं।मेरे प्रणाम..
-पंडित सुरेश नीरव
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