अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्व समिति के तत्वावधान में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री रजनीकांत राजूजी के आवास पर दिनांक 8-9-12 को आयोजित शब्दयज्ञ में आदरणीय पंडित सुरेश नीरवजी ने , मैं विज्ञानं का विद्यार्थी हूँ और रसायन में हायड्रोजन, नायट्रोजन एवं सोडियम किस तरह क्रिया करते हैं और उन्हें कविता के सांचे में ढ़ालना बहुत ही दुर्लभ कार्य है , परन्तु मैंने इन्हीं रसायन तत्वों पर अपनी कविता कही है, फिर तो क्या, उन्होंने अर्थी जो पञ्च तत्व के देहावसान के बाद समाज तैयार करता है, पर -अर्थी को समझे अर्थी कहकर जब उन्होंने अपनी कविता एक दार्शनिक भाव में कही तो श्रोतागण मन्त्रमुग्ध हो गए और कविता ने शमा बाँध दिया, लोग मन्त्रमुग्ध होकर ध्यानमुग्ध हो गए, और श्री नीरवजी को वाह नीरव, वाह नीरव की ध्वनि करते हुए अपनी करतालों से आकाश को भी आंदोलित कर दिया, श्री नीरवजी ने पञ्च तत्वों को कैसे एक रूप (पिंड )में एकत्र किया और कैसे उनको अपनी-अपनी योनी में पहुँचाया, एक दर्शन को उपस्थित करते हुए, अपनी कविता के माध्यम से बताया। यह बहुत गूढ़ एवं मार्मिक दर्शन है। दूसरा उन्होंने बिल्कुल सद्यः रचित मायोवादियों पर कविता पढ़ी जो बहुत ही सराहनीय एवं प्रशंसनीय रही। मैं ऐसे दार्शनिक कवि जो अभी हाल में ब्रह्मरत्न से अलंकृत हुए हैं, को बधाई देता हूँ और बार बार नमन करता हूँ।
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