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Sunday, December 16, 2012

"अंतर्द्वंद्व" का विमोचन

 लोकार्पण गोष्ठी-
कविता तो देवों कि वाणी होती है 
-पंडित सुरेश नीरव
दिनांक 16 दिसंबर को सुबह 11 बजे से देहरादून स्थित "अज़ीम जी फाउन्डेशन" के सभाकक्ष में श्री राकेश जुगरान कि पुस्तक "अंतर्द्वंद्व" का विमोचन हुआ. कार्यक्रम की अध्यक्षता "अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति" के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित सुरेश नीरव ने की. कार्यक्रम में एक वैचारिक गोष्ठी का भी आयोजन किया गया था जिसमें जीवन में कविता के मायने पर विमर्श हुआ. राहुल उपाध्याय की कविता "माँ" को बहुत सराहा गया तथा सभी माननीय अतिथियों का सम्मान प्राप्त हुआ. विमर्श को अंतिम रूप दिया पं. सुरेश नीरव जी के वक्तव्य ने जिसमें उन्होंने कहा कि कविता के मायने पूछना पुष्प से सुगंध के मायने, सूर्य से धुप के मायने और जीवन से साँसों के मायने पूछने जैसा है. इन सभी कि केवल अनुभूति की जा सकती है और इनको आत्मसात किया जा सकता है. कविता तो देवों कि वाणी होती है जो मनुष्य को साधन बना कर समाज तक आती है. उसी साधन का कवि के रूप में सम्मान होता है.

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