टीका सहित बृहद भरत चरित्र महाकाव्य
ॐ जय श्री भरत हरे, ॐ जय श्री भरत हरे.
भक्त जनन कारण, वन में भक्ति करी,
विकट समस्या धरणि पै, भरत लाल पाता,
त्रिकोटि गन्धर्व संहारे, और शैलूष मारा.
लालच लोभ न मन में , नंदी ग्राम गए,
राखि मर्यादा कुल की , राम राम दाता,
भ्रात्र प्रेम का टीका, भरत भाल सोहे,
भरतनाथ की आरति, जो कोई नर गावै,
योगेश
श्रीभरत आरती
ॐ जय श्री भरत हरे, ॐ जय श्री भरत हरे.
प्रजा जनन के संकट, पल में दूर करे.
भक्त जनन कारण, वन में भक्ति करी,
श्रद्धा त्याग ह्रदय में, खडाऊं पूजि हरी.
विकट समस्या धरणि पै, भरत लाल पाता,
भ्रात्र भाव भुवन में, रघु कुल प्रण गाता.
त्रिकोटि गन्धर्व संहारे, और शैलूष मारा.
सुर मुनिजन सब हर्षित, पावन भवन सारा.
लालच लोभ न मन में , नंदी ग्राम गए,
मन प्रक्षालन कीना, माँ को तार गए.
राखि मर्यादा कुल की , राम राम दाता,
धर्म स्थापना कीनी, जन जन गुण गाता.
भ्रात्र प्रेम का टीका, भरत भाल सोहे,
वासुकि नाग जू ध्यावै, सूँघत मन मोहे.
भरतनाथ की आरति, जो कोई नर गावै,
रिद्धि सिद्धि घर आवै,अरु मुक्ति भाव पावै.
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मननार्थ : बृहद भरत चरित्र महाकाव्य : महाकवि भगवान सिंह हंस
(टीका सहित) पेज -720
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आसफ अली रोड ब्रह्मपुरी दिल्ली-110053
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विशिष्ट:- इस महाकाव्य पर विश्वविद्यालयों में शोध (एम फिल&;पीएचडी) हो चुके हैं. श्रद्धालुजन घरों और मंदिरों में पाठ एवं श्री भरत की आरती कर रहे हैं.इसमें इक्ष्वाकुवंश की 121 पीढ़ियों का विस्तृत
वर्णन और राजा दशरथ की पुत्री शांता का भी विशेष चित्रण है. देश की सभी विश्वविद्यालयों/ पुस्तकालयों में अध्ययनरत.
जन्म/निवासी :- 06 जुलाई 1954, ग्राम-हसनगढ़ , तहसील-इगलास, जनपद -अलीगढ (उ प्र)
वर्तमान आवास :-एम-57 लेन -14 ब्रह्मपुरी दिल्ली -110053, एम-9013456949
शिक्षा /सम्प्रति:- एम ए (हिंदी), प्रधान अभिलेख अधिकारी, डाक विभाग दिल्ली
रुचियाँ :- कवि सम्मलेन,/काव्य गोष्ठी में भागीदारी, दूरदर्शन और आकाशवाणी पर काव्य पाठ.
सम्मान :-साहित्यश्री , बिस्मिल साहित्य सम्मान, साहित्य शिरोमणि दामोदर दास चतुर्वेदी सम्मान , सर्वभाषा संस्कृति समन्व समिति सम्मान, महामहीम राष्ट्रपति द्वारा अभिनंदित.
श्री हंस का रचना संसार
1.ऊषा (खंड काव्य )
2.भरत चरित्र (महाकाव्य )
3. सफ़र शब्दों का (काव्य संग्रह)
4. श्रीभरतमाला (ध्यानमणिका)
5. बृहद भरत चरित्र महाकाव्य (प्रकाशनाधीन)
प्रस्तुति -
योगेश

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