गांधी स्मरण
विचार और कविता में याद किया गांधी को
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गाजियाबाद- गांधीजयंती की पूर्व संध्या पर प्रवासी संसार के तत्वावधान में
कौशांबी स्थित राजपथ रेसीडेंसी में गांधी स्मरण विचार एवं काव्यसंध्या का
आयोजन किया गया। विचारगोष्ठी का विषयप्रवेश सुप्रसिद्ध गांधीवादी
साहित्यकार वीरेन्द्र वरनवाल ने अपने बीजआलेख गांधी और हम के माध्यम से
किया जिसे आगे बढ़ाया महापौर तेलूराम कांबोज ने। इस विचार गोष्ठी में नगर
एडीएम आर.सी.पटेल के अलावा श्री बी.एल,गौड़,अशोक रिछारिया,रजनीकांत राजू
तथा प्रदीप जैन ने भी अपने विचार व्यक्त किए। दूसरे चरण में गांधीजी को
केन्द्र में रखकर कवियों ने कविताएं पढ़ीं। बढ़ते बाजारवाद में गांधीजी की
दुर्दशा पर व्यंग्य करते हुए लोकप्रिय हिंदी कवि पंडित सुरेश नीरव ने कहा-
छाप के नोटों पर गांधी को बेच दिया बाजार में
नारों में रक्खा बापू को रक्खा नहीं विचार में
राजनीति और देश प्रेम का फिर से इकबार विलय हो
हर अनीति का क्षय हो तो गाधी की जय हो।
आयोजन के संयोजक,प्रवासी संसार के संपादक राकेश पान्डेय ने अपनी कविता में कहा-
गांधीजी तुम पहले दरिद्र नारायण थे
मगर तुम्हारे वारिसों ने
अब नकद नारायण बनाकर
तुम्हारी आत्मा को रुपयों में कैद कर दिया है..
डॉक्टर अशोक मधुप ने अपने गीत में उन्हें कुछ इस तरह संबोधित किया-
हे युगद्रष्टा, हे युग सृष्टा, हे कालजयी नयनाभिराम
हे चिर शाश्त इतिहास पुरुष
बापू तुमको शत-शत प्रणाम..। युवा कवि राहुल उपाध्याय ने गांधीजी को याद करते हुए कहा कि- कभी तूफां कभी कोई आंधी होता है
हम सभी में थोड़ा-थोड़ा गांधी होता है। आदीश जैन,बिलग्रामी और प्रदीप जैन ने भी कविता के जरिए गांधीजी को याद किया।
इस अवसर पर प्रसिद्ध व्यंग्यकार गोविंद व्यास ने भी अपने चुटीले व्यंग्य
पढ़कर गांधी का स्मरण किया। इस अवसर उपस्थित बुद्धजीवियों की संख्या ने यह
साबित कर दिया कि अगर कोई चिंतनपरक आयोजन हो तो उसमें शरीक होने के लिए लोग
आज भी समय निकाल लेते हैं। अतिथियों का स्वागत एवं आभार संयोजक राकेश
पान्डेय ने तथा गोष्ठी का संचालन पंडित सुरेश नीरव ने किया।
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