दशहरा मुबारक
दशहरा मुबारक-
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हर मठ में जा छुपे हैं अब आसाराम बापू
अब बनके साधु रावण सीता को छल रहा है
राघव हो या नारायण ये शब्द हैं भजन के
कलयुग में इनका मतलब उल्टा निकल रहा है
खोई हुई जवानी लौटा रही दवाएं
ये सुन के एक बूढ़ा देखो मचल रहा है।
-पंडित सुरेश नीरव
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