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Friday, August 31, 2018

इस मयक़दे में







इस मयकदे में कैसा ये जादू हुआ जनाब
 छूकर निगाह आपकी पानी हुआ शराब।

बेपरदा मयकदे में चले आये क्यूं हुजूर
रिंदों का हाल देखिए बिलकुल हुआ खराब।

गुलशन में तेरे आने की जब से हुई ख़बर
खिलने लगा दुबारा ये झरता हुआ गुलाब।

देखा हँसी को नाचते होठों पे आपके
धड़कन लुटा के सारी मेरा दिल हुआ नवाब।

है दूधिया लिबास में सिमटा-सा ये बदन
ज्यों चाँदनी में झील का निखरा हुआ शबाब।

                          -पंडित सुरेश नीरव

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