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Wednesday, March 31, 2010

दिल अभी भी जवान है प्यारे

नीरव जी, मेरी शान में आपने जो कसीदे पढ़े उस का मैं तहे- दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ। कुबूल हो। आज हफीज़ जालंधरी की एक ग़ज़ल पेश है।
दिल अभी तक जवान है प्यारे
किस मुसीबत में जान है प्यारे।

तू मेरे हाल का ख़याल न कर
इस में एक शान है प्यारे।

रात कम है, न छेड़ हिज्र की बात
ये बड़ी दास्तान है प्यारे।

तल्ख़ कर दी है ज़िन्दगी जिस ने
कितनी मीठी ज़बान है प्यारे।

जाने क्या कह दिया था रोज़े- अज़ल
आज तक इम्तिहान है प्यारे।

मैं तुझे बेवफ़ा नहीं कहता
दुश्मनों का बयान है प्यारे।

सारी दुनिया को है ग़लतफ़हमी
मुझ पे तू मेहरबान है प्यारे।
मृगेन्द्र मक़बूल

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