अरविंद पथिकजी, आप आए तो खयाले शहीदेआलम आया। मुझे याद है कि जब बिस्मिल फांउडेशन के तत्वावधान में मैंने सरफरोशी की तमन्ना टेलीफिल्म बनाने की तैया री शुरू की तो सबसे पहले उनके एक चित्र की मुझे दरकार हुई,और इसके लिए मैं एक बहुत बड़े प्रकाशन हाउस की फोटो लाइब्रेरी में उनका फोटो लेने गया तो कॉन्वेंट कल्चर्ड लाइबब्रेरियन ने मुझसे पूछा हू वाज बिस्मिल? जब मैंने तमक कर कहा कि आप बिस्मिलजी को नहीं जानती तो उसकी सहेली ने कहा अरे वही बिस्मिलजी जो फिल्मों में गीत लिखते थे। तो ये तो है बिस्मिलजी के लिए नई पीढ़ी का सामाजिक सरोकार। अब बिस्मिलजी के प्रति सम्मान भाव देखिए। एक कॉग्रेसी नेता ने कहा आप कहां बिस्मिल के चक्कर में पड़े हैं सोनिया या राहुल पर कुछ करते तो जिंदगी में कुछ लाभ मिल जाता। एक दैनिक समाचार पत्र के अखबारनवीस ने कहा-बिस्मिल तो आतंकवादी था,डकैती डालता था,गुस्से में उसे पीटना पड़ा। तो आजादी के बाद भी बिस्मिलजी और अन्य शहीदों के लिए आम भारतवासी के मन में ये विचार हैं। या तो वे बिस्मिलजी को जानते नहीं या फिर उन्हें मानते नहीं। दूरदर्शन पर एक कार्यक्रम में एक संपादकजी बिस्मिलजी के बारे में जो भी बोल रहे थे गलत बोल रहे थे। वैसे बड़े विद्वान हैं। रिकार्डिंग रुकवानी पड़ी उन्हें सही तथ्य बताए तो कहने लगे कल प्रधानमंत्री के यहां टाइम लग गया, ज्यादा पढ़ नहीं पाया आप को धन्यवाद। अब अगर वहां मैं न होता तो वह बेसिरपैर की बातें करके चले जाते। और नई पीढ़ी को क्या पता पड़ता कि वे क्या कह गए? उसे अपनी परेशानियों में ऐसी चुच्ची बातो के लिए टाइम कहां? कुछ इस बात से परेशान हैं कि बिस्मिल कौन जात के थे? ब्राह्मण या ठाकुर? या कायस्थ? उन्हें भी तो दुकान चलानी है। आज के चोट्टे नेताओं को तो बिस्मिल कोई फयदे का सौदा नहीं लगता इसलिए कहीं उसकी चर्चा ही नहीं करते। भाजपा के एक नेता ने जरूर अपना प्रेम बिस्मिलजी के लिए दिखायाथा, वह शरीफ आदमी था-डॉ. साहिब सिंह वर्मा। बाकी सभी एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं। मेरे सलाम शहीदों के लिए।
पं. सुरेश नीरव
1 comment:
100 करोड भारतीयों को हिजडा बना दिया है एक अदद सोनिया ने । मेरे अंगने मे तुम्हारा क्या काम है। जब सोनिया और राहुल हैं तो फिर बिस्मिल का क्यो नाम है ???
Post a Comment