यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Saturday, May 9, 2009
पं. सुरेश नीरवजी आप की गजल पढ़ी, बहुत अच्छी रही। बधाई.। आपको एक कतोहफा आपकी ही तरह ...स्वीकार करें.. मधु चतुर्वेदी
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