भाई मक़बूल साहिब की टिप्पणी पर कोई टिप्पणी न कर बस इतना कहना है कि आप दुनिया के सर्वश्रेष्ठ प्राणी यानि कवि हैं जो समाज से कारबन डाई आसाइड रूपी कुरीतियां लेता है और ब्दद्ले में आक्सीज़न रूपी कविता देता है.
पंडित सुरेश नीरव जी द्वारा दुःखद समाचार के सूचना मिली . भगवान उनकी आत्मा को शांति प्र्दान करे तथा हास्य कवियों को अच्छी कविता लिखने की शक्ति दे..
आज राहत इन्दोरी साहब की ग़ज़ल पेश है....
चेहरों की धूप आँखों की गहराई ले गया
आईना सारे शहर की बीनाई ले गया
डुबे हुये जहाज़ पे क्या तब्सरा करें,
ये हादसा तो सोच की गहराई ले गया
हालाँकि बेज़बान था लेकिन अजीब था,
जो शख़्स मुझ से छीन के गोयाई ले गया
इस वक़्त तो मैं घर से निकलने न पाऊँगा,
बस एक क़मीज़ थी जो मेरा भाई ले गया
झूठे क़सीदे लिखे गये उस की शान में,
जो मोतियों से छीन के सच्चाई ले गया
यादों की एक भीड़ मेरे साथ छोड़ कर,
क्या जाने वो कहाँ मेरी तनहाई ले गया
अब असद तुम्हारे लिये कुछ नहीं रहा,
गलियों के सारे सन्ग तो सौदाई ले गया
अब तो ख़ुद अपनी सांसें भी लगती हैं बोझ सी,
उम्रों का देव सारी तवनाई ले गया
- प्रस्तुति –राजमणि
No comments:
Post a Comment