Search This Blog

Tuesday, July 14, 2009

घर वापसी

मुंबई की बेहद रोचक और सार्थक यात्रा के बाद नई दिल्ली स्टेशन से घर तक की बेहद कष्ट-दायक यात्रा को झेल कर अब तारो-ताज़ा huaa हूँ। ब्लॉग पर मधु जी और नीरव जी की प्रस्तुति भी देखी। पंडित जी ने बड़े तकल्लुफ से काम लिया है। मुंबई के कवि-सम्मलेन को नीरव जी और मधु जी ने लूट लिया। बहार हाल कवि-सम्मलेन यादगार रहा।
आज मीना कुमारी की एक ग़ज़ल के कुछ शेर प्रस्तुत हैं।
यूँ तेरी रहगुज़र से दीवानावार गुज़रे
काँधे पे अपने रख के अपना मजार गुज़रे।

बहती हुई ये नदिया घुलते हुए किनारे
कोई तो पार उतरे कोई तो पार गुज़रे।

तूने भी हम को देखा हमने भी तुझ को देखा
तू दिल ही हार गुजरा हम जान हार गुज़रे।
प्रस्तुति- मृगेन्द्र मकबूल

No comments: