यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
Search This Blog
Wednesday, July 29, 2009
मित्रो, इन लाइनों को देखें पिछले कई दिनों से बिन बरसे उड़ चले बादल मन तरसे । अभी शाम से श्याम घन बरसे मन हरषे । ले. पवन कुमार जैन प्रस्तुति- प्रदीप कुमार शुक्ला
No comments:
Post a Comment