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Wednesday, July 29, 2009

मित्रो,
इन लाइनों को देखें
पिछले कई दिनों से
बिन बरसे
उड़ चले बादल
मन तरसे ।
अभी शाम से
श्याम घन बरसे
मन हरषे ।
ले. पवन कुमार जैन
प्रस्तुति- प्रदीप कुमार शुक्ला

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