श्री माथुर चतुर्वेदी महासभा के सांस्कृतिक प्रर्कोष्ठ के तत्वावधान में देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के विलेपार्ले स्थित इस्कॉन मंदिर में के सभागार में एक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। रसिक श्रोताओं से खचाखच भरे सभागार में कवियों ने अपनी गुदगुदाती रचनाओं से जहां श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया,वहीं सामाजिक विसंगति और विद्रूपताओं पर जम कर व्यंग्य-बाण भी छोड़े । कवि सम्मेलन के प्रथम चरण में अतिथि कवियों का शॉल और पुष्पमाल पहनाकर स्वागत किया गया। कवि सम्मेलन का सुमधुर आरंभ गजरौला से आईं कवयित्री डॉ. मधु चतुर्वेदी ने अपने गीत और ग़ज़लों से किया। जब उन्होंने यह शेर पढ़ा-
हां जी हां मैंने पी है शराब
ये तुम जानो अच्छा हुआ या खराब
तो श्रोताओं ने जमकर तालियां बजाईं। इसके बाद उन्हेंने एक और शेर सुनाकर श्रोताओं की प्रशंसा बटोरी
हम से ही फैसला नहीं होता
वरना दुनिया में क्या नहीं होता..।
इसके बाद आए दिल्ली से प्रकाशित होनेवाली साहित्यिक पत्रिका कादम्बिनी के मुख्य कॉपी संपादक पं. सुरेश नीरव,जिन्होंने पहले चतुर्वेदी संस्कृति और पालागन की विशद व्याख्या कर आपना जातीय धर्म निभाया और फिर विश्व के पहले चतुर्वेदी को याद करते हुए अपने इस जानदार और ओजस्वी गीत से किवता पाठ का शुभारंभ किया। पंक्तियां कुछ इस प्रकार थीं-
लहरो जागो,देखो धाराओ,हँसो ज़ोर से पतवारो
अब मेरी क्षमताओं का संघर्षों द्वारा अभिनंदन होगा
सागर ने ललकारा है मुझको अब सागर मंथन होगा
इन पंक्तियों को श्रोताओं ने खूब सराहा। इसके बाद जब उन्होंने ग़ज़ल पढ़ी तो उसके इस शेर ने श्रोताओं का भरपूर प्यार पाया,शेर कुछ यूं था
अपने घर छूट के जब जेल से आया क़ैदी
बंद पिंजरे में जो पंक्षी थे सभी छोड़ दिए
इसके बाद पं. सुरेश नीरव ने हास्य-व्यंग्य की कविताएं सुनाकर समकालीन व्यवस्था पर बड़े तीखे कटाक्ष किए और श्रोताओं को बहुत कुछ सोचने के लिए विवश कर दिया। अगले कवि-शायर थे जनाब मृगेन्द्र मकबूल जिन्होंने अपनी पारी की शुरुआत कुछ यूं की-
दाम लगता था रुपैया पास थी पाई नहीं
इसलिए तस्वीरे-जाना हमने खिंचवाई नहीं
और इसके बाद ग़ज़ल के इस शेर ने तो जैसे महफिल ही लूट ली-
महफिल में आ गए हैं तेरी रज़ा से हम
जाएंगे तेरे नूर की दौलत कमा के हम
और अंत में आए ग्वालियर से पधारे प्रदीप चौबे, जिन्होंने तमाम गुदगुदाती अपनी हास्य रचनाओं से श्रोताओं को भरपेट हँसाया और जमकर समां बांधा। इस कवि सम्मेलन में कार्यकािरणी के सदस्य मुनींद्र नाथ चतुर्वेदी ने अपने कवि मित्र डॉ. निशीथ की (जो कि किसी कारणवश समारोह में उपस्थित नहीं हो सके थे) रचना पढ़कर सुनाई। अंत में महासभा के अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद चतुर्वेदी ने भी अपनी रचनाएं पढ़ीं और श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया। कवि सम्मेलन का सफल एवं सरल संचालन सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के संयोजक सुभाष चौबे ने किया और अपनी रचनाएं पढ़कर कार्यक्रम की गरिमा में श्रीवृद्धि की। सुस्वादु भोजन के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।
प्रस्तुतिः एक श्रोता
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पालागन साब |
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