रजनीकांत राजू की कविता निराशा में आशामेरे एक दोस्त का बायां हाथ कट गयारेल एक्सीडेंट मेंछोड़ गया उसका साथ मैंने पत्र लिखामित्र मैं बहुत दुखी हूंतुम्हारा हाथ कट गयाजवाब आयादुख की क्या बात हैमेरा तो संकट गया
अभी तक एम.ए. बीएड.,बेरोज़गार थाअब तो मैं नौकरीशुदा हो जाउंगाजिंदगी पर पड़ीगरीबी की धूल छंट जाएगीसरकार विकलांग वर्ष मना रही हैविकलांगो को रोजगार दिला रही है।
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