Search This Blog

Wednesday, July 22, 2009

रजनीकांत राजू की कविता निराशा में आशामेरे एक दोस्त का बायां हाथ कट गयारेल एक्सीडेंट मेंछोड़ गया उसका साथ मैंने पत्र लिखामित्र मैं बहुत दुखी हूंतुम्हारा हाथ कट गयाजवाब आयादुख की क्या बात हैमेरा तो संकट गया
अभी तक एम.ए. बीएड.,बेरोज़गार थाअब तो मैं नौकरीशुदा हो जाउंगाजिंदगी पर पड़ीगरीबी की धूल छंट जाएगीसरकार विकलांग वर्ष मना रही हैविकलांगो को रोजगार दिला रही है।

No comments: