दिन-पर-दिन लोक मंगल में बहार आती जा रही है। नए-नए सदस्य बन रहे हैं और सभी अपनी-अपनी प्रतिभा के मुताबिक इसे संवारने में लगे हुए हैं,यह अच्छी बात है। जिस ब्लॉग को पं. सुरेश नीरव का और उनके मकबूलजी,पथिकजी, राजमणिजी और हंसजी जैसे दोस्तों का सहयोग प्राप्त हो भला उसे कौन रोक सकता है? णदु मिस्रा की और मधु चतुर्वेदी की रचनाएं बहुत अच्छी रहीं। कैफी साहब के और बशीर बद्र साहब के तो रंग ही निराले हैं...शबी दोस्तों को सलाम मालेकुम...मालेकुम सलाम...
ओ. चांडाल
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