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Thursday, September 3, 2009

हौसला अफज़ाई का शुक्रिया

मैं आभारी हूँ निर्मला कपिला जी, उड़न तश्तरी, अर्चना तिवारी,आर्या जी और अपूर्व जी का जिन्होंने मेरी प्रस्तुति को पसंद कर मेरी हौसला अफज़ाई की। अगर आप में से कोई भी इस ब्लॉग पर अपने विचार या रचना प्रेषित करना चाहें तो कृपया अपने कमेन्ट के साथ अपनी ईमेल आई डी लिख दें ताकि फोर्मल आमंत्रण भेजा जा सके। आज अख्तर शीरानी की एक ग़ज़ल पेश है।
किसी से कभी दिल लगाया न था
मुहब्बत का सदमा उठाया न था।

हसीनों के रोने पे हँसते थे हम
कभी एक आंसू बहाया न था।

कोई हूर हो या परी, अपना सर
किसी आस्तां पर झुकाया न था।

सियाह गेसुओं को तमन्ना रही
मगर दिल को हम ने फंसाया न था।

ज़माने में वो कौन था जोहरा-वश
कि सीने से जिस ने लगाया न था।

बसर की सदा ऐश-ओ-इशरत में उम्र
कभी रंज हम ने उठाया न था।

मगर इक झलक ने हमें खो दिया
ये सदमा तो हम ने उठाया न था।
मृगेन्द्र मक़बूल

2 comments:

Himanshu Pandey said...

खूबसूरत गजल का धन्यवाद ।

Maqbool said...

himanshu ji,
shukriyaa.
maqbool