ज़रा हमसे नजरें मिलाओ तो जानें
ये नजरें तुम्हारी हैं जलवों के थाने।
है आसान जितने ये पल भर में करने
हैं मुश्किल ही उतने ये वादे निभाने।
छुड़ा कर के दामन चले हो सितमगर
मेरी यादों से जा दिखाओ तो जानें।
हैं दरीचों में यादों के बावस्ता अब तक
वो रेशम से लमहे, वो मंज़र सुहाने।
है मक़बूल उल्फ़त की महफ़िल में हमसा
कोई सिरफिरा आगे आए तो जानें।
मृगेन्द्र मक़बूल
2 comments:
छुड़ा कर के दामन चले हो सितमगर
मेरी यादों से जा दिखाओ तो जानें।
-बहुत खूब!
shukriyaa udan tashtari ji
maqbool
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