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Tuesday, December 29, 2009

डगमगाते घुटनों में भी बला का जोश होता है इसकी मिसाल हैं हमारे तिवारीजी


हजामत 
(बूढ़ा ठरकी ज़िंदाबाद.)

बुढ़ापे की राख के नीचे भी न जाने कितनी मर्दाना ताकतोंवाली दवाओं का जोश फनफनाता है 
मैं का करूं राम मुझे बुड्ढा मिल गया। यह गाना जब-जब  मैंने सुना समझ में नहीं आया कि आखिर किसी के बुड्ढे हो जाने से किसी हसींना को क्या तकलीफ हो सकती है। क्यों वह चीख-चिल्ला रही है कि मुझे बुड्ढा मिल गया। अंदाज़ लगाता था कि किसी की चढ़ती जवानी में अगर किसी को खटारा.खूसट,नकारा बुड्ढा मिल जाए तो बेचारी इस बात का शिकवा भी न करे। साला किसी काम का नहीं,बूढ़ा कहीं का। मगर आज आदरणीय नारायण दत्त तिवारीजी के राजभवन का मामला प्रकाश में आया तो लगा कि किसी ने सही कहा है कि यदि शोले पर राख जम जाए तो यह न समझें कि राख के नीचे आग नहीं है। बुढ़ापे की राख के नीचे भी न जाने कितनी मर्दाना ताकतोंवाली दवाओं का जोश फनफनाता है यह वही जानती हैं और जानते हैं जो ऐसे एक्स्प्रीरीयेंस्ड ओल्डमैन के कभी हत्थे चढ़े हों, या चढ़ी हों। ऐसी ही कोई हंसीना कभी राजभवन में किसी बुड्ढे के पल्ले पड़ गई होगी तभी घबड़ाकर त्राहिमाम-त्राहिमाम की मुद्रा में पुकार रही होगी मैं का करूं राम मुझे बुड्ढा मिल गया..। तिवारीजी के पराक्रम ने तमाम बूढ़ों की मार्केट वेल्यू बढ़ा ही है। हंसीनाओ ज़रा बच के मैं तो अभी ओनली सिक्सटी का ही हूं। रात-बिरात कहीं तनहाई में मिल गईं तो पता नहीं क्या कयामत आ जाए। थोड़ी सुरक्षित दूरी बनाने में ही फायदा है। वो क्या है कि उधर सावधानी हटी कि इधर दुर्घटना घटी। ज़रा बच के। यूं भी बुढ़ापे का इश्क ज्यादा खतरनाक होता है। बुझता दिया थोड़ा ज्यादा ही भकभकाता है।
मैं माननीय तिवारीजी की इस खुशी में बिना साबुन लगाए हजामत बना रहा हूं कि उन्होंने भारतवर्ष में सीनियर सिटीजनों का सिर ऊंचा कर दिया है। डगमगाते घुटनों में भी बला का जोश होता है इसकी मिसाल हैं हमारे तिवारीजी। ऐसा ठरकी वयोवृद्ध हमारा आदर्श पुरुष बने दुनिया के सारे बूढ़े मिलकर आदरणीय को ग्लोबल वेलेंटाइनमैन का खिताब देकर सम्मानित करें, एक हज्जाम की दुनिया के बुजुर्गों से यही प्रार्थना है। जो इस प्रर्थना में शामिल नहीं होगा उसे बड़ा पाप पड़ेगा। उसको मरकर भी चैन नहीं आएगा। और ये हज्जाम ऐसे सनकी की उल्टे उस्तरे से हजामत बनाएगा। बूढ़ा ठरकी ज़िंदाबाद..राजभवन का राज जनहित में ही खोला गया है ताकि देशवासी इनसे प्रेरणा ले सकें। तिवारीजी अमर रहें।
शुभेच्छु
पं. सुरेश नीरव

3 comments:

समय चक्र said...

असल में ये बुढउ लोग सेक्स पावर बढ़ने के लिएखूब वियाग्रा टैबलेट खाते है .... जब खाते खाते अति हो जाती है तो पकडे जाते है हा हा

समय चक्र said...

असल में ये बुढउ लोग सेक्स पावर बढ़ने के लिएखूब वियाग्रा टैबलेट खाते है .... जब खाते खाते अति हो जाती है तो पकडे जाते है हा हा

Randhir Singh Suman said...

आंध्र प्रदेश के राज्यपाल श्री नारायण दत्त तिवारी जी के ऊपर लगाया गया आरोप गन्दा नहीं है । गंदे आदमी पर यह आरोप लग के आरोप शर्मिंदगी महसूस कर रहा होगा । श्री तिवारी जी आजादी की लड़ाई से आज तक दोहरे व्यक्तित्व के स्वामी रहे हैं। उनका एक अच्छा उज्जवल व्यक्तित्व जनता के समक्ष रहा है दूसरा व्यक्तित्व न्यूज़ चैनल के माध्यम से जनता के सामने आया है । लखनऊ से दिल्ली , देहरादून से हैदराबाद तक का सफ़र की असलियत उजागर हो रही है । यह हमारे समाज के लिए लोकतंत्र के लिए शर्मनाक बात है । भारतीय राजनीति में, सभ्यता और संस्कृति में इस तरह के उदाहरण बहुत कम मिलते हैं लेकिन बड़े दुःख के साथ अब यह भी लिखना पड़ रहा है कि पक्ष और प्रतिपक्ष में राजनीति के अधिकांश नायको का व्यक्तित्व दोहरा है । इसमें किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए बस ईमानदारी से एक निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है बड़े-बड़े चेहरे अपने आप बेनकाब हो जायेंगे । गलियों- गलियों में हमारे वर्तमान नायको की कहानियाँ जो हकीकत में है सुनने को मिलती हैं। इन लोगो ने अपने पद प्रतिष्ठा का उपयोग इस कार्य में जमकर किया है जो निंदनीय है। इसलिए ऊपर लिखी पंक्तियाँ वास्तव में उनके व्यक्तित्व के यथार्थ को प्रदर्शित करती हैं।