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Wednesday, December 23, 2009

निर्लज्जता का अट्टहास

भाई अनिल जी की पोस्ट देखी। मेरी आत्मा भी इस ख़बर को पढ़ कर मुझे कचोट रही है। हद तो ये है कि जिस मुख्य मंत्री ने राठोर को पदोन्नत किया और वर्तमान मुख्य मंत्री ने बड़ी सहजता से प्रेस को नो कमेन्ट कह कर टाल दिया। मुझे लगता है इस मामले को प्रेस को पूरे जोर शोर से उठाना पड़ेगा, तभी उम्मीद कि मृतका को न्याय मिल पाये।
मृगेन्द्र मक़बूल

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