मकबूलजी
शासर का नाम जो भी हो काम बहुत बड़ा है। आपने अच्छे शेर पढ़वाए आपके हम शुक्रगुजार हैं। खासकर के शेर-बजते हैं ख़यालों में तेरी याद के घुंघरू
कुछ दिन से मेरा घर भी परीखाना हुआ है।
मौसम ने बनाया है निगाहों को शराबी
जिस फूल को देखूं वही पैमाना हुआ है।
आप महान हैं। पूरा हिंदुस्तान हैं। आपके आगे हम तो रेगि महफिल की शान हैं। आपके आगे हम तो रेगिस्तान हैं।
पं. सुरेश नीरव
1 comment:
बजते हैं ख़यालों में तेरी याद के घुंघरू
कुछ दिन से मेरा घर भी परीखाना हुआ है।
bahut badhiya sher..badhai sureshji
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