जल संरक्षण के लिए विभिन्न कंपनियों द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्य के सम्मान के लिए वाटर डाइजेस्ट वाटर पुरस्कार, 2006 में स्थापित किए गए थे। यह पुरस्कार यूनेस्को और भारत के जल संसाधन मंत्रालय द्वारा समर्थित है। पुरस्कार का मुख्य फोकस लोग, नवीनता, प्रक् इस वर्ष के पुरस्कार के लिए 9 जनवरी 2010 को नई दिल्ली के पार्क होटल में आयोजन किया गया था, जिसमें केंद्रीय जल संसाधन मंत्री श्री पवन कुमार बंसल के हाथों पुरस्कार प्राप्तकर्त्ताओं को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर वाटर कम्युनिटी इंडिया को जल शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने और विशेषकर हिंदी पोर्टल के माध्यम से शिक्षा और ज्ञान का प्रसार करने के लिए वाटर डाइजेस्ट वाटर अवार्ड 2010 से सम्मानित किया गया। संस्था की ओर से संस्था की अध्यक्षा श्रीमती मीनाक्षी अरोड़ा और श्री सिराज केसर ने पुरस्कार प्राप्त किया। इस अवसर पर इंडिया वाटर पोर्टल के प्रसार प्रमुख दीपक मेनन की उपस्थिति भी रही। ज्ञातव्य हो कि इंडिया वाटर पोर्टल हिन्दी अर्घ्यम के जानकारी आधारित पोर्टलों की श्रृंखला का एक हिस्सा है। निमंत्रण स्थानः माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल, म.प्र. तिथिः जनवरी 14, 2010 समयः प्रातः 9:30-5 बजे सांय इंडिया वाटर पोर्टल हिंदी, भोपाल मेंमाखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के सहयोग से पानी- पर्यावरण और पत्रकारिता मुद्दे पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन कर रहा है। आप सभी से निवेदन है कि कार्यशाला में पहुंचकर अपने बहुमूल्य विचारों का आदान-प्रदान करें। आप सभी विद्वतजन कार्यक्रम में सादर आमंत्रित हैं। “बतरस” सामुदायिक शौचालयAuthor: अपर्णा पल्लवीवेब/संगठन: india environment portal orgविदर्भ में महिलाओं के लिये विशेष…आज भी भारत के ग्रामीण इलाकों में लोग खुले में शौच जाते हैं, वे खुशी से नहीं जाते, बल्कि यह उनकी मजबूरी है। लेकिन खुले में शौच जाने की आदत सेनिटेशन और स्वास्थ्य की दृष्टि से उचित नहीं है। ऐसी ही सोच के साथ महिलाओं की सुविधाओं का ध्यान रखते हुए आगे आए विकासखण्ड अधिकारी राजेन्द्र पाटिल.......यानी बीडीओ साहब। पर ये क्या!
Author: बिपिन चन्द्र चतुर्वेदीSource: http://www.manoramaonline.com आखिर वह भी हुआ जो होना चाहिए था। जी हां, केरल में प्रस्तावित अथिरापल्ली पनबिजली परियोजना पर ब्रेक लग गया। केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने गत 4 जनवरी 2010 को परियोजना को दी गई मंजूरी वापस लेने की सिफारिश कर दी। साथ ही मंत्रालय ने इस संबंध में केरल राज्य विद्युत बोर्ड से 15 दिनों में अपनी प्रतिक्रिया देने को कहा है। केरल में चालकुडी नदी पर प्रस्तावित इस 163 मेगावाट की पनबिजली परियोजना को जुलाई 2007 में केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने मंजूरी दी थी। केन्द्र ने अपनी मंजूरी रिवर वैली एंड हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्टस के विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति द्वारा अप्रैल 2007 में परियोजना स्थल पर भ्रमण करने के बाद दी गई सिफारिश के बाद दी थी। परियोजना को सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बाद विशेषज्ञ -- Minakshi Arorahindi.indiawaterportal.org
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