Search This Blog

Wednesday, January 13, 2010

अजब इंसान हूँ मैं ज़िन्दगी के गीत गाता हूँ

अजब इंसान हूँ मैं ज़िन्दगी के गीत गाता हूँ
भला हो या बुरा मौसम ख़ुशी के गीत गाता हूँ।

जो मिलता है उसे अपना नसीबा मान लेता हूँ
जो खोया है उसे मैं भूल के भी गीत गाता हूँ।

मुझे हर सांस में उसकी कमी महसूस होती है
मैं सब कुछ हार कर भी जीत के ही गीत गाता हूँ।

बुरा महसूस करता हूँ भला फिर भी मैं करता हूँ
करम फ़रमाँ हर इक लम्हा तुम्हारे गीत गाता हूँ।

ज़मीं हिलती हुई मक़बूल अब महसूस होती है
इसी हिलती ज़मीं पर मैं ख़ुशी के गीत गाता हूँ।
मृगेन्द्र मक़बूल

No comments: