यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Saturday, January 30, 2010
डूबते और तैरते रहे वक्त के झोंको मैं
aaj jab likhan chahata hun to yeh automatic parivartan ka kam nahi kar raha hai . pata nanhi is kami ko kaise solve kiya jay ?
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