आज ये तस्वीर मेरी रास्ते में रोककर खींच दी गई है और तुरंत मुझे थमा भी दी गई है। आप लोगों को डराने के लिए ये काफी हैं इसलिए आप तक पहुंचाए दे रहा हूं। इसी बीच में कर्नल विपिन चतुर्वेदी ने बहुत अच्छी रचना पढ़वाई साथ ही ममता बनर्जी का तीर्थयात्रियों से रेल्वे में सरचार्ज लेने की जो शरारत की है उसकी अच्छी खिल्ली उड़ाई है और जजिया लगाने की भी मांग कर डाली है अच्छी लगी। यह वास्तव में एक क्रूर मज़ाक है।
मकबूलजी ने अशफाकुल्ला साहब की क्रांतिकारी नज्म पढ़वाई। यह लोकमंगल ही है जो अपने शहीदों को गाहे-बगाहे याद कर ही लेता है। वरना कहां किसो फुर्सत है इन्हें याद करने की। पथिकजी ने भी अशफाकुल्ला साहब को याद किया था कुछ दिन पहले ही। दोनों को बधाई..
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