पता नहीं इस कथा का इस खबर और घटना से कोई संबंध बनता है कि नहीं, मगर रुचिका हत्याकांड के आरोपी हरियाणा पुलिस के पूर्व डीजीपी ने जब से ये बयान दिया है हमको ऐसा लगा कि हम अपने पाठकों को ये कहानी भी याद दिला दें।
रुचिका छेड़छाड़ मामले में जमानत पाने के बाद हरियाणा के पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौड़ के चेहरे पर पुरानी मुस्कान फिर लौट आई है। पंचकूला जिला एवं सत्र न्यायालय ने उनकी जमानत अवधि 8 फरवरी तक बढ़ा दी। अदालत से निकलते हुए वह खुल कर मुस्कुरा रहा था। उसने मीडियाकर्मियों को ताना मारते हुए यह भी कहा कि उसने मुस्कुराना जवाहरलाल नेहरू से सीखा और वह आगे और मुस्कुराएगा।
एक अंग्रेजी खबरिया चैनल 'टाइम्स नाउ' ने जब उसकी प्रतिक्रिया चाही, तो उसने मीडिया पर जम कर गुबार निकाला। उसने कहा,'मैं न्याय व्यवस्था को उस तरह नष्ट नहीं करना चाहता जैसे कि मीडिया कर रहा है। इसलिए मैं जाँच से जुड़े किसी भी मुद्दे पर कुछ नहीं बोलूंगा। लेकिन, अगर आप चाहते हैं तो मैं अपनी मुस्कुराहट पर जरूर बोलूंगा जिस पर आप कुछ ज्यादा ही ध्यान दे रहे हैं। मैंने पंडित जवाहर लाल नेहरू से सीखा है कि मुश्किलों में कैसे मुस्कुराते हैं। मैं और ज्यादा मुस्कुराऊंगा। अगर आप मुझे नुकसान पहुँचाते हैं तो मैं और ज्यादा मुस्कुराऊंगा।'
शिवानी जोशी
सौजन्यःहिंदी मीडिया
2 comments:
राठौर सही कह रहे हैं। नेहरू और राठौर में ज्यादा अन्तर नहीं है। नेहरू का 'चरित्र' कैसा था इस पर मुझे कुछ कहने की जरूरत नहीं है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैं राठौर को कम दोषी या निर्दोष मान रहा हूँ।
नीरज दादा ने भी तो कहा
जो दुखो मे मुस्कुरा दिया वो तो एक गुलाब बन गया
लेकिन आगे उन्होने लिखा
दूसरो के हित जो जिया, प्यार की किताब बन गया
वैसे राठौड को प्रेरणा तो और भी उन्चे महापुरुषो से भी मिली है वो शायद वे अगली बार मे बयान करे.
Post a Comment