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Tuesday, January 19, 2010

काम अब कोई न आएगा बस इक दिल के सिवा

काम अब कोई न आएगा बस इक दिल के सिवा
रास्ते बंद हैं सब कूचाए - क़ातिल के सिवा।

हमने दुनिया की हर इक शै से उठाया दिल को
लेकिन एक शोख़ के हंगामाए-महफ़िल के सिवा।

तेग़ मुंसिफ हो जहां, दारो- रसन हों शाहिद
बेगुनाह कौन है उस शहर में क़ातिल के सिवा।

जाने किस रंग से गुलशन में आई है बहार
कोई नगमा ही नहीं शोरे- सिलासिल के सिवा।
अली सरदार जाफरी
प्रस्तुति- मृगेन्द्र मक़बूल

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