काम अब कोई न आएगा बस इक दिल के सिवा
रास्ते बंद हैं सब कूचाए - क़ातिल के सिवा।
हमने दुनिया की हर इक शै से उठाया दिल को
लेकिन एक शोख़ के हंगामाए-महफ़िल के सिवा।
तेग़ मुंसिफ हो जहां, दारो- रसन हों शाहिद
बेगुनाह कौन है उस शहर में क़ातिल के सिवा।
जाने किस रंग से गुलशन में आई है बहार
कोई नगमा ही नहीं शोरे- सिलासिल के सिवा।
अली सरदार जाफरी
प्रस्तुति- मृगेन्द्र मक़बूल
No comments:
Post a Comment