Search This Blog

Monday, January 18, 2010

बिकते हैं दिल यहाँ खरीदार देख कर ...

हम आ गए हैं प्यार का बाज़ार देख कर

बिकते हैं दिल यहाँ खरीदार देख कर


वो लोग जहाँ में मौसमों से भी बुरे हैं

जो बदल जाते है बदलते आसार देख कर


अब तो जंग से भी उनको हराना हुआ दुश्वार

जो लरज़ उठते थे हाथ में तलवार देख कर


उल्फत के लिए अच्छी सूरत ही काफी नही ऐ दोस्त

मोहब्बत कीजिए इंसान का किरदार देख कर


जाने क्यूँ लोग तुझ को शुगुफ्ता कहते हैं ''हसीब ''

ऐसा तो बिलकुल नहीं लगता तेरे अशार देख कर

हसीब

प्रस्तुति : अनिल (१९.०१.२०१० अप १.४५ बजे )

2 comments:

Murari Pareek said...

बहुत सुन्दर रचना !!!

dipayan said...

"उल्फत के लिए अच्छी सूरत ही काफी नही ऐ दोस्त
मोहब्बत कीजिए इंसान का किरदार देख कर"

बहुत खूब कहा.