इटली वापसी के समाचार को पढ़कर कर्नल विपिन चतुर्वेदी ने मुझे बधाई दी है और सोहमजी मुझसे मिलने दिल्ली ाए मगर मैं उन्हें मिल नहीं सका इसका मुझे रंज है मगर मैं दोनों ही बंधुओं का आभार मानता हूं कि इन्होंने मुझे कहीं अपने में ही शिद्दत से महसूस किया। और मुझे काविले मुबारकबाद समझा।
मकबूलजी ने तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है वाली जो ग़ज़ल दी है इसका शायर मंजर भोपाली को बताया है मैं उन्हें बताना चाहूंगा कि यह ग़ज़ल जनाब कैफ भोपाली की है न कि मंजर भोपाली की। भूल-सुधार करलें।
अरविंद चतुर्वेदीजी ने जनेश्वर मिश्र का जाना जो रिपोर्ताज लिखा है उसके लिए मैं उनका बहुत आभारी हूं। बहुत अच्छा लिखा है। जानकारीपूर्ण और भावुक भी।
मुनीन्द्रनाथ चतुर्वेदीजी को तकलीफ हो गई है उनकी ओटोमेटिक ट्रांसलेशन की मशीन खराब हो गई है। बेचारे चाहकर भी नहीं लिख पा रहे हैं। मैं उनके प्रति सहानुभूति रखता हूं। और कामना करता हूं कि वह जल्दी-से-जल्दी फिर लिखें।
राजमणिजी और अनिलजी तथा प्रदीप शुक्ला का भी आभारी हूं जिन्होंने कि मेरी अनुपस्थति में लोकमंगल की मशाल को जलाए रखा। बहुत धन्यवाद
पं. सुरेश नीरव
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