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Monday, February 1, 2010

शहीदों का अपमान करता हुआ गीत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मानान है कि 'दे दी हमें आजादी बिना खड्ग, बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल....' गीत झूठ का पुलिंदा है और आजादी की लड़ाई में सुभाषचंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद, अशफाक उल्लाह और रामप्रसाद बिस्मिल जैसे क्रांतिकारियों का बलिदान का मजाक है। संघ चाहता है कि सभी खास-ओ-आम अब इस गीत को गाना और सुनना बंद कर दे।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक और इन दिनों संघ से जुड़े 'राष्ट्रीय मुस्लिम मंच' के उप्र- उत्तराखंड के संगठन समन्वयक की जिम्मेदारी निभा रहे महिरज ध्वज सिंह ने 'दैनिक जागरण' से बातचीत में स्वीकारा, ' हाँ, यह सच है, यह गीत हम लोगों को स्वीकार नहीं है। इसी लिए हमने सभी स्कूल प्रबंधकों से भी अपील की है कि अगर उन्होंने अपने यहां नियमित प्रार्थना में इस गीत को शामिल कर रखा हो तो इसे कतई हटा दें। दूसरे अवसरों पर भी यह गीत नहीं बजना चाहिए और न ही गाया जाना चाहिए। जहां-जहां हमारे कार्यक्रम हो रहे हैं, वहां हम सार्वजनिक अपील कर रहे हैं कि इस गीत का पूरी तरह से बहिष्कार हो।'

ऐसा क्यों, बकौल महिरज ध्वज सिंह, 'आजादी की लड़ाई बगैर खड्ग, ढाल के मिल गई, यह कहना सबसे बड़ा झूठ है। इतिहास को झुठलाने की यह कांग्रेसी साजिश है। इस गीत के जरिये आजादी के बाद पैदा हुई पीढ़ी को हम यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि आजादी की लड़ाई गांधीजी ने बगैर खड्ग, ढाल के दिलवा दी। ऐसा करके हम हजारों वीरों के बलिदान अपमान कर रहे हैं। उनके बलिदान को नकार रहे हैं।'

'आजादी की लड़ाई बगैर खड्ग, ढाल के मिल गई, यह कहना सबसे बड़ा झूठ है। इतिहास को झुठलाने की यह कांग्रेसी साजिश है। ऐसा करके हम हजारों वीरों का अपमान कर रहे हैं, उनके बलिदान को नकार रहे हैं।'
दैनिक जागरण से साभार
फिल्म जाग्रति के गीत के बारे में: 1954 में बनी इस फिल्म का संगीत हेमंत कुमार ने दिया था और गाया था आशा भोसले ने। फिल्म में ये गीत एक बच्चे पर फिल्माया गया था। इस फिल्म का निर्देशन सत्येन बोस ने किया था और निर्माता थे, एस मुखर्जी। फिल्म में अभ भट्टाचार्य, प्रणति घोष, बिपिन गुहा, रतन कुमार, राजकुमार गुप्ता और मुमताज़ बेगम की प्रमुख भूमिका थी। 1957 में पाकिस्तान में इस फिल्म की नकल कर बेदान नाम से फिल्म बनाई गई और मजे की बात ये है कि इस पाकिस्तानी फिल्म में भी ये गीत हूबहू रख दिया गया इसमें साबरमती के संत की जगह जिन्ना का नाम डाल दिया गया।

कवि प्रदीप द्वारा लिखा गया पूरा गीत

दे दी हमें आज़ादी बिना खड्‌ग बिना ढाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल

आंधी में भी जलती रही गांधी तेरी मशाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल

धरती पे लड़ी तूने अजब ढब की लड़ाई
दागी न कहीं तोप न बंदूक चलाई
दुश्मन के किले पर भी न की तूने चढ़ाई
वाह रे फकीर खूब करामात दिखाई

चुटकी में दुश्मनों को दिया देश से निकाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल

शतरंज बिछा कर यहां बैठा था ज़माना
लगता था कि मुश्किल है फिरंगी को हराना
टक्कर थी बड़े ज़ोर की दुश्मन भी था दाना
पर तू भी था बापू बड़ा उस्ताद पुराना

मारा वो कस के दांव कि उल्टी सभी की चाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल

जब जब तेरा बिगुल बजा जवान चल पड़े
मजदूर चल पड़े थे और किसान चल पड़े
हिन्दू व मुसलमान सिख पठान चल पड़े
कदमों पे तेरे कोटि कोटि प्राण चल पड़े

फूलों की सेज छोड़ के दौड़े जवाहरलाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल

मन में थी अहिंसा की लगन तन पे लंगोटी
लाखों में घूमता था लिये सत्य की सोंटी
वैसे तो देखने में थी हस्ती तेरी छोटी
लेकिन तुझे झुकती थी हिमालय की भी चोटी

दुनियां में तू बेजोड़ था इंसान बेमिसाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल

जग में कोई जिया है तो बापू तू ही जिया
तूने वतन की राह में सबकुछ लुटा दिया
मांगा न कोई तख्त न तो ताज ही लिया
अमृत दिया सभी को मगर खुद ज़हर पिया

जिस दिन तेरी चिता जली रोया था महाकाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल
सौजन्यः हिंदी मीडिया

1 comment:

अनुनाद सिंह said...

चूंकि सीधे कोई नहीं कह सकता कि कांग्रेस के प्रयासों से भारत आजाद हुआ तो मूर्ख बनाने के लिये ये परोक्ष तरीका चुन लिया।