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Thursday, March 4, 2010

जीवन की ढलने लगी सांझ

जन्म: 25 दिसंबर 1926

उपनाम--
जन्म स्थानग्वालियर, मध्य प्रदेश, भारत
कुछ प्रमुख
कृतियाँ
मृत्यु और हत्या, अमर बलिदान
विविधभारत गणराज्य के प्रधानमंत्री रह चुके हैं।
जीवनीअटल बिहारी वाजपेयी / परिचय

आज प्रस्तुत है आदरणीय अटल बिहारी वाजपेयी की कविता-


जीवन की ढलने लगी सांझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन की ढलने लगी सांझ।

बदले हैं अर्थ
शब्द हुए व्यर्थ
शान्ति बिना खुशियाँ हैं बांझ।

सपनों में मीत
बिखरा संगीत
ठिठक रहे पांव और झिझक रही झांझ।
जीवन की ढलने लगी सांझ।

प्रस्तुतिः मधु मिश्रा



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1 comment:

vedna said...

sach kaha hai bajpai ji ne shanti bina khushiyan hain baanjh --badi sundar kavita