Search This Blog

Monday, October 11, 2010

जय लोकमंगल में क्या ख़ास है

जय लोक मंगल जय लोक मंगल जय लोक मंगल जय लोक मंगल जय लोक मंगल जय लोक मंगल जय लोक मंगल
प्रतिक्रियाएं-
                                                                       काफी कुछ है लोकमंगल में
जय लोक मंगल का नियमित पाठक हूं। इन दिनों काफी मेहनत की जा रही है इसको सर्वग्राह्य बनाने के लिए ऐसा मुझे लगता है। फिल्म,अध्यात्म,साहित्य सभी कुछ आप इसमें प्रस्तुत करते हैं यह अच्छी शुरुआत है। बीच में आपने जो अरण्यक पर आलेख दिए थे वे काफी ज्ञानवर्धक थे। अच्छा हो कि ऐसे ही कुछ और आलेख आप ब्लाग में डालें। नमस्कार..
                                                                      प्रदीप पंडित (संपादकःशुक्रवार)
00000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000
  आंधियों में दीप जलाता है रचनाकार
श्रीयुत पंडित सुरेश नीरवजी,
 जयलोकमंगल अक्सर देख लेता हूं। पिछले दिनों आपने अरण्यकों की विस्तार से चर्चा की है यह एक महत्वपूर्ण काम है। इस दिशा में काम हुआ भी नहीं है। मैंने वेदों में ईश्वर की अवधारणा और मनुस्मृति पर काम किया है इसलिए जानता हूं कि यह काम कितना श्रमसाध्य होता है और आज की धारा के विपरीत भी। लोकिन अच्छा रचनाकार हमेशा ही आंधियों में दीपक जलाता है। आपकी प्रखर चेतना का मैं अभिनंदन करता हूं। भगवानसिंह हंस का भरत चरित भी एक महत्वपूर्ण महाकाव्य है। काफी रोचक जानकारियां हैं इसमें। मैं उन्हें भी साधुवाद देता हूं।
                                                                                                    डाक्टर रामगोपाल चतुर्वेदी (जयपुर)
00000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000
डाक्टर भगवानस्वरूप चैतन्य

 कलाकारों का खांचों में बांटना गलत है
जयलोक मंगल ने इस अवधारणा की पुष्टि की है कि कलाकार सिर्फ कलाकार होता है और उसे किसी खांचे में नहीं डाला जाना चाहिए। आपने अपने ब्लाग में फिल्म अभिनेता प्राण और अमिताभ बच्चन को याद करके इस बात की पुष्टि कर दी है। कवि,संगीतकार और अभिनेता तीनों ही मिलकर एक भाव संसार की रचना करते हैं। इसलिए उन्हें हमें अपनी ही बिरादरी का मानना चाहिए. कोई अलग प्रजाति का जीव नहीं। इस दृष्टि से आपका प्रयास महत्वपूर्ण है। मेरी बधाई..
                                                              डाक्टर भगवानस्वरूप चैतन्य (संपादकःलोकमंगल,ग्वालियर)
00000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000
                                                               आपकी टीम के लोग पूरी तरह से मुस्तैद हैं
डाक्टर अनिल कुलश्रेष्ठ
आत्मीय नीरवजी,समय-समय पर अपनी क्षमता के अनुसार जय लोकमंगल में मैं अपना योगदान देता रहता हूं। जब लोगों के फोन आते हैं कि आज जय लोकमंगल में आपकी पोस्ट देखी तो बहुत अच्छा लगता है। और इससे यह भी साबित होता है कि ब्लाग की पहुंच काफी दूर-दूर तक है। और हो भी क्यों नहीं आखिर आप और आपकी टीम के लोग पूरी तरह से मुस्तैद हैं। भगवानसिंह हंस को ब्लाग का टापवन  मेंबर बनने पर मेरी ओर से बहुत बधाई..
                                           डाक्टर अनिल कुलश्रेष्ठ (सरिताविहार,दिल्ली)
000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000

No comments: