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Friday, October 8, 2010

मेहनत का फल

  1. 1. नीरवजी का व्यंग्लेख बहुत धांसू है।
  2. 2.सच ही है कामनवेल्थ गेम केवल उन्हीं देशों में खेले जाते हैं जो कभी अंग्रेजों के गुलाम रहे थे। आज जब हम आजाद देश हैं फिर क्यों इनके इशारों पर चलते हैं।
  3. 3. क्या देश की बुनियादी समस्याओं को भुलाकर हमें खेलों पर इतना पैसा बर्बाद करना चाहिए था।
4. इन सारी समस्याओं पर आपने बहुत मार्मिक व्यंग्य किया है।
बधाई..ही-बधाई..

5. भगवान सिंह हंस ने राजमणिजी की प्रदर्शनी के बारे में अच्छी रिपोर्टिंग की है। और उनके भरतचरित के अंश योगेश विकास ने बहुत सुंदर ढंग से पेश किए हैं। काफी मेहनत की इसका फल भी उन्हें मिल चुका है। वह नंबर वन मेंबर हैं। यह उनकी मेहनत का पुरस्कार है।
मधु चतुर्वेदी

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