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Friday, October 8, 2010

नीरवजी,आज जब ब्लाग देखा और अपना नाम टाप फाइव में दर्ज पाया तो आश्चर्यमिश्रित खुशी हुई। श्री भगवानसिंह हंस का प्रथम स्थान जायज ही है। वह काफी मेहनत करते हैं। और आपके पक्के भक्त हैं। आज के समय में इतनी आस्थावाले लोग भाग्यशालियों को ही मिलते हैं। आप सचमुच भाग्यशाली हैं। आपका कामनवेल्थ पर लिखा व्यंग्य मारक है।  मधुजी ने अच्छा लेख उद्धृत किया है।
डाक्टर प्रेमलता नीलम
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