एक रास्टीय समस्या पर
हम सब कितने परेसान होते है
इतने तनावों के बाद भी
एक अतिरिक्त तनाव डोते है
हमे इस बात का गम है
क्या हमरे पास सम्सय्याए काम है
सहर समाज गली मुह्हले में
समसय्ये बिखरे पड़ी है
कल जो भी हो
हमे सच क सामना करना होगा
अमन चैन सद्भवाना की
उड़ान खुले मन से भरना होगा
इंसानियत का तकाजा
इन्सान को जोड़ कर रखना है
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई
जैसी पवित्र मिठास को सदा
एक भाव से चखना है
हमारा आज हमारा कल सरथ हो
बस दिल से यही नारा हो
सरे जहा से अच्छा
हिदुस्तान हमारा हो ..................
प्रकाश प्रलय कटनी
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