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Friday, October 29, 2010

समस्या


एक रास्टीय समस्या पर

हम सब कितने परेसान होते है

इतने तनावों के बाद भी

एक अतिरिक्त तनाव डोते है

हमे इस बात का गम है

क्या हमरे पास सम्सय्याए काम है

सहर समाज गली मुह्हले में

समसय्ये बिखरे पड़ी है

कल जो भी हो

हमे सच क सामना करना होगा

अमन चैन सद्भवाना की

उड़ान खुले मन से भरना होगा

इंसानियत का तकाजा

इन्सान को जोड़ कर रखना है

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई

जैसी पवित्र मिठास को सदा

एक भाव से चखना है

हमारा आज हमारा कल सरथ हो

बस दिल से यही नारा हो

सरे जहा से अच्छा

हिदुस्तान हमारा हो ..................

प्रकाश प्रलय कटनी



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