जयलोकमंगल
आज जब बलाग पर पहुंचा तो तमाम विभूतियों को विराजित देखा। अलग-लग रंग और अलग-अलग ढंग में। प्रतिक्रियाओं में प्दीप पंडितजी,चैतन्यजी,रामगोपल चतुर्वेदी और डाक्टर इनिल कुलश्रेष्ठ-जैसे लोग लिख रहे हैं देखकर सुखद आश्चर्य हुआ। नीरवजी का गीत बहुत अच्छा लगा और हंसजी का भरत चरित तो है ही अद्भुत। योगेश विकास भी खूब लिख रहे हैं। सारथीजी की और औंकार गुलशन की रचनाएं भी अच्छी लगीं। डाक्टर रमा द्विवेदी और प्रेमलता नीलम की रचनाओं ने समां बांध दिया। और प्रशात योगी का आद्यात्मिक चिंतन तथा मधु मिश्रा का नवरात्रि को लोकर लिखी पोस्ट एक लग वातावरण ब्लाग के दे रही है।लगता है कि इंटरनेटी कवि सम्मेलन के बाद काफी लोग सक्रिय हुए हैं। यह एक शुभ लक्षण है। सभी साथियों को बधाई..
अरविंद पथिक
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