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Tuesday, October 12, 2010

श्री प्रशांत योगीजी को ढ़ेर सारी बधाइयां

पंडित सुरेश नीरवजी के जय लोक मंगल की महक चहुँदिश सर्वजन -मानुष को आनंदित कर रही है। उसकी सुगंध मलयसमीर बनकर श्वेत चादर से गुजरती हुई धर्मशाला तक जा पहुँची। उसके रसानंद में सर्वजन मस्त हो गए। उसके ही रसानंद की अनुभूति यथार्थ मेडिटेशन इंटरनेशनल धर्मशाला(हिमाचल ) के बुद्धिजीवी चेयरमेन श्री प्रशांत योगीजी को महसूस हुई । उनसे नहीं रहा गया और वे इस लोकमंगल यात्रा में शामिल हो गए। इसके लिए मैं उनको ढ़ेर सारी बधाइयां देता हूँ तथा इस गुलदस्ता के सिरमौर श्री नीरवजी को भी बधाई देता हूँ जिनके शब्दों की बुनती पारिवारिक युगीन एकता का तानाबाना लेकर वसुधैव कुटुम्बम की भावना में दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही है। यह उनका स्नेही सान्निध्य ही है जिसको हम सब अंगीकार करते हैं। जय लोकमंगल।

डा० रमा देवी जी को बहुत-बहुत बधाईउनकी कविता के लिए। आपकी कविता बहुत अच्छी लगी। आपकी कविता मैं ने भोपाल अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मलेन में भी सुनी थी।

मृगेंद्र मकबूलजी को भी बधाई देता हूँ जो उन्होंने इतनी बेहतरीन गजल लिखी। पढ़कर बड़ा आनंद आया। पालागन ।

मुकेश परमार भी एक सटीक आलेख लिख रहे हैं। बहुत-बहुत बधाई।

योगेश विकासजी को बधाई भरत चरित्र महाकाव्य की प्रस्तुति के लिए। ऐसा लगता है कि वे भरतमय हो गए हैं जो इतनी अद्भुत भरत चरित्र महाकाव्य की प्रस्तुति इंटरनेट दे रहे हैं।

भगवान सिंह हंस


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