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Tuesday, October 26, 2010

कमाल ........

नीरव जी /

नमन ........

विचार बहती धारा है ..जो रुक गया वह जीवंत नही

हो सकता .....राम तुलसी दास के मूल्य बन गये .....

शानदार सम्बाद के लिए बधाई ..........

प्रशांत योगी जी का चेतना युक्त चिन्तन कफन मे जेब नही होती ........

मनुष्य जीवन दर्शन का यथार्थ है .......खूब लिखा है ......बधाई ......

प्रकाश प्रलय कटनी

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