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Tuesday, October 26, 2010

डूबकर पढ़ना पहली शर्त है

आज लोकमंगल पर करवाचौथ के मौके पर मुझे पंडित सुरेश नीरवजी का साक्षात्कार पढ़ने को मिला। आज साहित्य में प्रतिबद्धता को लेकर काफी बहस चलती रहती है ऐसे में प्रतीबद्धता सृजन में कितनी सहायक और कितनी बाधक है इसको बहुत बारीकी से खंगाला गया है। इस पर टिप्पणी करने के लिए इसे बहुत डूबकर पढ़ना पहली शर्त है। उसके बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकताप्रशांत योगीजी लाइव दिखाई देंगे यह जानकर बहुत खुशी हुई। उन्हें बधाई..
मधु मिश्रा

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