
आप सभी मित्र गणों को समस्त युगहंस परिवार की ओर से दिवाली के शुभ अवसर पर हार्दिक बधाइयां॥ प्रस्तुत हैं:
जब धरनी हुई कुंठित, मानव हुए संकुचित॥
फिर अस्मिता बनी द्रोपदी, क्या हम हैं निर्दोषी॥
आओ प्रण ले इस पावन पर्व पर, आवाज उठाने का, क्योंकि ठीक ऐसे ही कहता था..वो बूढा-लाठी वाला कि अत्याचार को सहना भी करने के बराबर ही है..उससे कम नहीं है..
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