त्यौहार है । तू जरूर अय्यो। तेरे लिए मैंने बाखर की खूब सफाई-पुताई कराई है। सबनके भैया, बहिन, ताऊ, चाचा और दूर गयौ पति जा त्यौहार जरूर आवत हैं। च्यों रे कान्हा च्यों न आबैगौ । देखि तेरे लिए मैंने बौहत सारी मिठाएयाँ मंगाई यें। खील-बतासे तौ तोय बहौत अच्छे लगत यें। देखि मैं तोते बहुत प्यार करतियूँ । तेरे बिना दिवारी कौ पूजन कैसे करुँगी। कन्हैया! देखि राम ने भी दिवारी पै अपने घर अयोध्या में अपनी पत्नी के साथ लक्ष्मी पूजन करयौ । ये सबनकौ खुशियन्न कौ त्यौहारहै । अच्छो, ठीक है ये। मैं जरूर आऊंगौ , लक्ष्मी! तेरे संग पूजन करूँगौ। दिवारी ऐसे ही सबनुकुं बौहत-बौहत खुशियाँ लेकर आवै। आप खुशियाँ बांटें , आपकुं ढ़ेर सारी खुशियाँ मिलिंगी। जय लोक मंगल । कान्हा! तेरी राधा--भगवान सिंह हंस
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