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Wednesday, November 3, 2010

मेरी शुभकामनाएं उन परिवारों के लिए हैं जिन्होंने अपना बलिदान कर इस देश को बचा के रखा है।

 दीपावली की शुभकामनाएं

हम हर साल ही दीपावली की शुभकामनाएं एक दूसरे को देते हैं। यह हमारी संस्कृति है और सामाजिक विवशता भी। लेकिन कितने लोग हैं जो हमारी शुभकामनाओं को गंभीरता से लेते हैं, ये प्रश्न ज्यादा महत्वपूर्ण है।फिर भी औपचारिकता के बतौर ही सही हम ये काम करते तो हैं। अब एक करोड़पति को एक सड़क छाप व्यक्ति शुभकामनाएं दे तो क्या मतलब है इसका। और एक व्यक्ति जो विजनेस में आपको नष्ट करने पर उतारू है उसकी भी शुभकामनाएं आप को आती हैं।  क्या यह एक कारोबार नहीं बन गया है। तो फिर इन शुभकामनाओं के करोड़ों के कारोबार को आप क्या गंभीरता से लेते हैं। शायद हरगिज नहीं। तो फिर क्या जरूरत है हमें यह निरर्थक कवायद करने की। शायद इसलिए क्योंकि हम एक झूठ को ही ज़िंदगी भर जीने को विवश हैं। झूठ को ही हम सेलीब्रेट करते हैं। विश्व के किसी भी देश में लत्र्मी का पूजन नहीं होता। अमेरिका में डालर्स की पूजा नहीं होती इंग्लैंड में पाउंड्स नहीं पहजते,अरब में दीनार नहीं पुजते। केवल भारत है जहां नोटों की पूजा होती है। यह वो देश है जो संपत्ति को माया कहता है। यहीं लक्ष्मी की पूजा होती है। हजारों साल से हो रही है। मगर नतीजा ये कि सोने की चिड़िया रहा ये देश आज गरीबी की रेखा के नीचे जीने को विवश है। हर बजट एक झूठ लेकर आता है। जनता भी इसे बखूबी जानती है। कालाधन इस देश की अर्थव्यवस्था को संचालित करता है। और इसी के मालिक देश को चलाते हैं। पर्दे के पीछे से। शहीदों के कफऩ पर कमीशन खानेवाले भी इसी देश की सरकार में होते हैं। और उनका कुछ नहीं बिगड़ता। ये है इस देश की राजनीति का चरित्र। यहां हर औसत आदमी अपनी नैतिकता को गिरवी रखकर सिर्फ लक्ष्मी चाहता है। तो तय है कि यहां दीपावली बहुत महत्वपूर्ण त्योहार है। आप कैसे भी हो, बस धन कमाएं.। दीपावली पर आपको मेरी शुभकामनाएं।
वैसे मेरी शुभकामनाएं आपके साथ क्यों होंगी,क्या यह आप समझ सकते हैं । मेरी शुभकामनाएं उन परिवारों के लिए हैं जिन्होंने अपना बलिदान कर इस देश को बचा के रखा है। अगर आप इस के काबिल अपने को समझते हैं तो यकीनन मेरी शुभकामनाएं...
पंडित सुरेश नीरव

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