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Wednesday, November 17, 2010

अमेरिका का सामुद्रिक सरकस


अमेरिका का सामुद्रिक सरकस



नट के अद्शय से इशारे पर

दोसौ किलो की डॉल्फ़िन

चार मीटर की ऊचाई पर

आसमान में लटकी

छोटी सी लाल गेंद को

पैरों तले खिसकनें वाले

पानी से उछलकर

सिर से उछाल देती है

चकित हम ताली बजाते हैं

इस बीच वह तुरंत

नट के पास पहुच जाती है

खुश हो जाती है

एक छोटी सी मछली मिलनेपर

तीन सौ किलो का

गंवार ­सा दिखनेवाला सागार ­सिंह

अपने छोटे छोटे पंख हाथों से

चढ़ जाता है सीढ़ियों से

तीन मीटर ऊँचे छलांगपट पर

देखता है हम सब की तरफ गर्व से

और पुष्कर में गोता मारता है

न छलकता है ऍक बूंद पानी

और न छप सी आवाज़

अचम्भित हम ताली बजाते हैं

इस बीच वह तुरंत

नट के पास जाता है

खुश हो जाता है

ऍक छोटी सी मछली मिलने पर

सात सौ किलो की कलसित हवेल

तरल जल से राकेट की तरह

पॉंच मीटर उछलती है

और वह स्निग्धतम गोताखोर ह्ववेल

जानबूझकर पानी में

फचाक से पट्टट गिरती है

उछलती है टनों पानी दस मीटर दूर तक

ठंडे पानी में भीगकर

हक्कका बक्कका

खुश हम ताली बजाते हैं

वह खुश हो जाती है

ऎक छोटी सी मछली मिलनेपर

ऎक छोटी सी मछली में

कितनी ताकत है

सारे अमेरिका से

सारे संसार से

सरकस कराती रहती है।


. . . . . . . . . . . .विश्व मोहन तिवारी, एयर वाइस मार्शल, (से.नि.)

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