अमेरिका का सामुद्रिक सरकस
नट के अद्शय से इशारे पर
दोसौ किलो की डॉल्फ़िन
चार मीटर की ऊचाई पर
आसमान में लटकी
छोटी सी लाल गेंद को
पैरों तले खिसकनें वाले
पानी से उछलकर
सिर से उछाल देती है
चकित हम ताली बजाते हैं
इस बीच वह तुरंत
नट के पास पहुच जाती है
खुश हो जाती है
एक छोटी सी मछली मिलनेपर
तीन सौ किलो का
गंवार सा दिखनेवाला सागार सिंह
अपने छोटे छोटे पंख हाथों से
चढ़ जाता है सीढ़ियों से
तीन मीटर ऊँचे छलांगपट पर
देखता है हम सब की तरफ गर्व से
और पुष्कर में गोता मारता है
न छलकता है ऍक बूंद पानी
और न छप सी आवाज़
अचम्भित हम ताली बजाते हैं
इस बीच वह तुरंत
नट के पास जाता है
खुश हो जाता है
ऍक छोटी सी मछली मिलने पर
सात सौ किलो की कलसित हवेल
तरल जल से राकेट की तरह
पॉंच मीटर उछलती है
और वह स्निग्धतम गोताखोर ह्ववेल
जानबूझकर पानी में
फचाक से पट्टट गिरती है
उछलती है टनों पानी दस मीटर दूर तक
ठंडे पानी में भीगकर
हक्कका बक्कका
खुश हम ताली बजाते हैं
वह खुश हो जाती है
ऎक छोटी सी मछली मिलनेपर
ऎक छोटी सी मछली में
कितनी ताकत है
सारे अमेरिका से
सारे संसार से
सरकस कराती रहती है।
. . . . . . . . . . . .विश्व मोहन तिवारी, एयर वाइस मार्शल, (से.नि.)
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